ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (तास) के संस्थापक चेयरमैन और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के पूर्व महानिदेशक (डीजी) डॉ. आर एस परोदा का कहना है कि हमें युवाओं को टेक्नोलॉजी एजेंट के रूप में तैयार करने की जरूरत है जो किसानों को शिक्षित कर सकें । इसके अलावा उन्होंने कहा कि संसद को बीज विधेयक और कीटनाशक विधेयक जैसे कानूनों को मंजूरी दे कर इनको आगे बढ़ाना चाहिए। डिजिटल मीडिया प्लेटफार्म रूरल वॉयस की पहली वर्षगांठ के मौके पर नई दिल्ली में आयोजित 'रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव और NEDAC अवार्ड्स 2021' के एक सत्र एग्रीकल्चर एंड टेक्नालॉजी को संबोधित करते हुये डॉ. परोदा ने यह बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि हमारी सभ्यता की प्रगति में टेक्नोलॉजी की बड़ी भूमिका है और इससे कृषि इसका अपवाद नहीं हो सकती। टेक्नोलॉजी के विवेकपूर्ण इस्तेमाल ने हमें मुश्किल दौर से बाहर निकाला है। इससे भविष्य में भी कई और समस्याओं का समाधान होगा। उन्होंने रूरल वॉयस का एक साल पुर होने पर इसके सराहनीय कार्य के लिए बधाई दी और कहा कि ग्रामीण भारत की आवाज सुनने के लिए रूरल वॉयस एक बेहतर मंच है।
डॉ. परोदा ने कहा कि मुझे लगता है कि किसान की दिलचस्पी कृषि के तकनीकी ज्ञान को जानने की है। तकनीक से जो बदलाव लाया जा सकता है, वही मायने रखता है। परोदा ने उदाहरण दिया कि कैसे उनके गांव के एक मैकेनिक ने उनके फोन में एक ऐप डाउनलोड किया जिसकी मदद से वह यहां दिल्ली में बैठे अपना ट्यूबवेल उस मोबाइल ऐप के जरिए चला सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे इनोवेशन की जरूरत है जिससे किसानों की लागत कम हो और उनकी आय बढ़े।
डॉ. परोदा ने कहा कि टेक्नालॉजी ने कृषि में सभी प्रकार के परिवर्तन आये हैं चाहे वह हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, नीली क्रांति या इंद्रधनुष क्रांति की सफलता हो यह सब टेक्नोलॉजी के जरिये हुआ है। उन्होंने इसी दौरान उल्लेख किया कि हरित क्राति के जनक डॉ. नॉर्मन बोरलॉग और एम एस स्वामीनाथन कहते थे कि यह टेक्नोलॉजी अच्छे संस्थानों और मानव संसाधनों के अभाव में उपलब्ध नहीं हो सकती थीं।
डॉ. परोदा ने कहा कि आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर ढांचे के निर्माण और कुशल नीतियां बनाने के लिए सभी श्रेय की भारत सरकार हकदार थी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे उस समय की भारत सरकार ने मेक्सिको से 18,000 टन गेहूं के बीज मंगाकर किसानों तक पहुंचाया ,जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी।
डॉ. परोदा ने कहा कि आज हमें उत्पादन से आगे जाने की जरूरत है। हमें फसल कटाई के बाद के प्रबंधन, मूल्य संवर्धन और विपणन पर ध्यान देना होगा। इसके अलावा उत्पादन में हमें जीनोम-एडिटिंग जैसी प्रमुख तकनीकों से लाभ उठाने की आवश्यकता है। जैव उर्वरकों और जैव कीटनाशकों का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि हमें आज के समय में युवाओं को टेक्ऩोलॉजी एजेंट रूप में तैयार करने की जरूरत है जो किसानों को शिक्षित कर सकें और जरूरी लॉजिस्टिक्स का प्रबंधन कर सकें। इसके अलावा उन्होंने ने कहा कि संसद को बीज विधेयक और कीटनाशक विधेयक जैसे कानूनों को मंजूरी देकर उनको आगे बढ़ाने की जरूरत है।
अपने संबोधन का समापन करते हुए डॉ. परोदा ने कहा कि प्रधानमंत्री चाहते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचे, इसके लिए कृषि का एक ट्रिलियन डॉलर से आना चाहिए। इसके लिए हमें नई सोच और नई समझ के साथ काम करना होगा।