भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्र का कहना है कि आईसीएआर की टेक्नोलॉजी का फायदा उठाकर बड़ी संख्या में किसानों को आर्थिक फायदा हुआ है। हमारा उद्देश्य है कि अधिक से अधिक किसानों को आईसीएआर की तकनीक का फायदा उठाने का मौका मिले। डॉ. महापात्र ने रूरल वॉयस द्वारा अपनी पहली वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड नेडाक अवार्ड्स 2021 के एक सत्र को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी सत्र में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि देश में हरित क्रांति के दौरान,नई फसलों की किस्में विकसित हुई और खाद्यान्न उत्पादन में क्रांति आई, डेयरी और मछली क्षेत्र में श्वेत और नीली क्रांति आई और इनका विकास हुआ। इन सब में टेक्नालॉजी का बड़ा योगदान है।
डॉ. महापात्र ने कहा कि आईसीएआर की टेक्नोलॉजी से करीब 75,000 किसानों की आय दोगुनी हुई है। कुछ किसानों ने अपनी आय में 5-7 गुना तक की वृद्धि की है । आगे भी हम इसी तरह की तकनीकों के जरिये किसानों की आय में बढ़ोतरी सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं ताकि अधिक से अधिक किसान इनतकनीकों से लाभान्वित हो सकें।
आईसीएआर महानिदेशख ने कहा कि आजादी के बाद से लेकर अब तक देश में कृषि के क्षेत्र में हुई प्रगति में टेक्नोलॉजी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस दौरान देश ने अपने कृषि उत्पादन में 6.5 गुना की वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि इस समय देश की जनसंख्या 1.3 अरब है। इतनी बड़ी संख्या में भोजन उपलब्ध कराने के साथ हम बड़ी मात्रा में कृषि उत्पादों को अन्य देशों में निर्यात कर रहे हैं।
डॉ. महापात्र ने कहा कि आजादी के बाद से कृषि निर्यात के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। जहां 1950-51 में भारत का कृषि निर्यात करीब 149 करोड़ रुपये था, वहीं आज यह 41,41.25 अरब रुपये पर पहुंच गया है। जिसमें हम डेयरी उत्पादों और मछली उत्पादों के निर्यात से 7 अरब डॉलर की कमाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरना महामारी में जब अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में भारी गिरावट हुई तो कृषि क्षेत्र ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र था जिसकी विकास दर सकारात्मक रही और यह तीन फीसदी से अधिक की वृद्धि दर से बढ़ा यानी एक तरह से भारतीय अर्थव्यवस्था का बुनियादी क्षेत्र कृषि क्षेत्र ही साबित हुआ।
इस मंच पर डॉ. महापात्र ने कहा कि जहां टेक्नोलॉजी महत्वपूर्ण है वहीं किसानों की आय बढ़ाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने पानी के संरक्षण और यूरिया की खपत को कम करने के लिए स जरूरी अत्याधुनिक तकनीकों के उपयोग के महत्व पर जोर दिया है।
आईसीएआर डीजी ने कहा कि पिछले सात वर्षों में 750 कृषि स्टार्ट-अप को बढ़ावा दिया गया है।