आईआईटी कानपुर 5जी और 6जी कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के लिए लोगों को प्रशिक्षण देगा और उनकी मेंटरिंग करेगा। इस टेक्नोलॉजी से 15 वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था को 450 अरब डॉलर का फायदा मिलने की उम्मीद है। अमेरिका, दक्षिण कोरिया, जापान और चीन जैसे देशों में 5जी टेक्नोलॉजी की शुरुआत हो गई है और अब वे देश 6जी टेक्नोलॉजी का परीक्षण कर रहे हैं। लेकिन भारत प्रतिभा और पूंजी की कमी के कारण इस क्षेत्र में आगे बढ़ने में संघर्ष कर रहा है।
5जी और 6जी टेक्नोलॉजी में 2025 तक 2.2 करोड़ स्किल्ड लोगों को रोजगार देने की क्षमता है। आईआईटी कानपुर का आकलन है कि यह टेक्नोलॉजी 15 वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था में 450 अरब डॉलर का योगदान करेगी। इंस्टीट्यूट का आकलन है कि पिछले वर्ष अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी में प्रतिभाओं की कमी 28 फ़ीसदी तक थी। लेकिन अब भारत 5जी टेक्नोलॉजी और इसका इस्तेमाल करने वाले उद्योगों के लिए विश्वस्तरीय कुशल वर्कफोर्स तैयार करने की दिशा में अग्रसर है।
इंडस्ट्री की मांग पूरी करने के लिए आईआईटी कानपुर ने कम्युनिकेशन सिस्टम्स में ईमास्टर्स की डिग्री शुरू की है। आईआईटी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग ने यह डिग्री डेवेलप की है जिसका मकसद 5जी और 6जी पर आधारित आधुनिक कम्युनिकेशन सिस्टम में प्रोफेशनल्स को प्रशिक्षित करना है। यह डिग्री खासतौर से एग्जीक्यूटिव के लिए तैयार की गई है जिसे वे एक से 3 साल तक की अवधि में पूरा कर सकते हैं।
आईआईटी कानपुर की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि भारत 5जी टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ रहे देशों की कतार में शामिल होने के लिए तेजी से बढ़ रहा है। हाल ही 5जी टेस्ट बेड लॉन्च इस दिशा में हुए कार्यों और 6जी को लेकर चल रहे शोध कार्य नई वर्कफोर्स के लिए संभावनाएं लेकर आए हैं।
हाल ही 5जीआई नाम से भारत का पहला 5जी टेस्ट बेड लॉन्च किया गया है। यह स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर सुविधाओं के निर्माण के लिए भविष्य की टेक्नोलॉजी को अमल में लाने की दिशा में पहला कदम है। टेस्ट बेड के लिए 5जी बेस बैंड यूनिट (बीबीयू) डेवेलप करने का जिम्मा आईआईटी कानपुर को ही दिया गया था।