कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। यही वजह है कि अब भारत में भी खेती से जुड़े कार्यों के लिए ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। ड्रोन के जरिए किसान फसल की निगरानी, कीटनाशकों और उर्वरकों के छिड़काव समेत कई अन्य कार्य कर सकते हैं। खेती में ड्रोन का इस्तेमाल करने के लिए ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग और लाइसेंस की जरूरत होती है। भारत में ड्रोन उड़ाने के लिए कुछ रूल्स और रेगुलेशन फॉलो करने होते हैं। जिसकी निगरानी भारतीय नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) करता है। साथ ही ड्रोन उड़ाने के लिए लाइसेंस भी डीजीसीए ही जारी करता है। आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि खेती के लिए ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग, लाइसेंस कहां से मिलेगी और इससे जुड़े नियम क्या हैं।
खेती में कौन सा ड्रोन इस्तेमाल होता है
डीजीसीए ने ड्रोन को उनके वजन के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया है। इनमें नैनो ड्रोन (वजन 250 ग्राम तक), माइक्रो ड्रोन (वजन 250 ग्राम से 2 किलोग्राम), स्मॉल ड्रोन (वजन 2 किलोग्राम से 25 किलोग्राम), मीडियम ड्रोन (25 किलोग्राम से 150 किलोग्राम) और लार्ज ड्रोन (150 किलोग्राम से अधिक) शामिल है। नैनो ड्रोन को छोड़कर अन्य सभी ड्रोन को उड़ाने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता होती है। खेती के लिए मुख्य रूप से माइक्रो, स्मॉल और मीडियम ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता है। जिनके जरिए आसानी से खेती से जुड़े कार्य किए जा सकते हैं। ड्रोन उड़ाने से जुड़ा एक नियम है भी है कि नो-फ्लाई जोन में इसे उड़ाना प्रतिबंधित होता है। हवाई अड्डों, सैन्य क्षेत्रों, और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं होती है।
कहां से मिलेगी ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग
वैसे तो ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग 6 महीने से एक साल तक की होती है, लेकिन खेती में ड्रोन उड़ाने के लिए बेसिक ट्रेनिंग ही चाहिए होती है। बेसिक ट्रेनिंग 1 से 3 हफ्ते की होती है। भारत में प्राइवेट और सरकारी दोनों प्रकार से संस्थान हैं, जो ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग देते हैं। प्राइवेट संस्थानों में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ड्रोन (आईआईडी), ड्रोनआचार्य, ड्रोन वर्ल्ड, बॉम्बे फ्लाइंग क्लब और सरकारी संस्थानों में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी, तेलंगाना स्टेट एविएशन एकेडमी जैसे संस्थान शामिल हैं। ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग लेने या इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए संबंधित संस्थानों की वेबसाइट विजिट करें। इनके अलावा, नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएसडीसी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और कुछ कृषि विश्वविद्यालय भी ड्रोन उड़ाने के लिए बेसिक ट्रेनिंग वर्कशॉप और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
ड्रोन ट्रेनिंग की योग्यता और फीस
ड्रोन उड़ाने की बेसिक ट्रेनिंग के लिए उम्मीदवार को मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं पास (साइंस स्ट्रीम) की होनी चाहिए। इसके साथ ही उम्मीदवार की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। फीस की बात करें तो सभी संस्थानों में यह अगल-अलग है। बेसिक ट्रेनिंग के लिए औसतन 25 से 50 हजार रुपये की फीस आपको चुकानी पड़ सकती है। सरकारी संस्थान इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, स्मॉल ड्रोन की ट्रेनिंग के लिए उम्मीदवार को 55,000 रुपये + जीएसटी और मीडियम ड्रोन के लिए 65,000 रुपये + जीएसटी की फीस देनी होगी। ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग लेने, फीस या इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए संबंधित संस्थान की वेबसाइट विजिट करें।
कैसे मिलेगा ड्रोन उड़ाने का लाइसेंस
ड्रोन पायलट को ड्रोन उड़ाने के लिए डीजीसीए से लाइसेंस प्राप्त करना होता है। लाइसेंस के लिए ट्रेनिंग सर्टिफिकेट (प्रशिक्षण प्रमाणपत्र) की जरूरत होती है, जो ट्रेनिंग के बाद मिलता है। लाइसेंस बनाने के लिए डीजीसीए डिजिटल स्काई पोर्टल https://digitalsky.dgca.gov.in/ पर आवेदन करना होता है। आवेदन करने के लिए आवश्यक दस्तावेज जैसे पहचान पत्र, पता प्रमाण, और प्रशिक्षण प्रमाणपत्र वेबसाइट पर अपलोड करने होते हैं। साथ ही लाइसेंस फीस भी जमा करनी होती है (स्मॉल ड्रोन के लिए फीस 45,000 + जीएसटी और मीडियम ड्रोन के लिए 65,000 + जीएसटी)। इसके बाद डीजीसीए द्वारा आयोजित ड्रोन लाइसेंस परीक्षा होती है। जिसे पास करने पर लाइसेंस जारी किया जाता है। यहां ड्रोन को भी डीजीसीए के साथ पंजीकृत कराना आवश्यक होता है। अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1800-103-5780 पर संपर्क करें या डीजीसीए की आधिकारिक वेबसाइट https://www.dgca.gov.in/digigov-portal/ पर विजट करें।