आर्य.एजी ने एग्रीकल्चर डाटा साइंस कंपनी प्रक्षेप को खरीदने की घोषणा की है। इस अधिग्रहण से इंटीग्रेटेड ग्रेन कॉमर्स प्लेटफॉर्म के रूप में आर्य की स्थिति और मजबूत हुई है। इससे यूजर्स को नए सॉल्यूशन उपलब्ध हो सकेंगे। इस अधिग्रहण से खेती में डिजिटाइजेशन, फसलों की निगरानी और सर्विलांस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा। कंपनी को उम्मीद है कि इस कदम से उसे एफपीओ, प्रोसेसर के अलावा कॉर्पोरेट, बैंकों तथा बीमा कंपनियों के साथ संबंधों को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
आर्य.एजी ऐसा प्लेटफॉर्म है जो कृषि उत्पाद के खरीदारों और विक्रेताओं को जोड़ता है और उन्हें मात्रा, गुणवत्ता तथा भुगतान आदि के मामले में आश्वस्त करता है। प्रक्षेप के अधिग्रहण से उत्पादों के स्रोत का पता लगाने, पारदर्शिता और क्वालिटी के मामले में मदद मिलेगी। इस अधिग्रहण से कृषि क्षेत्र का सबसे बड़ा डेटाबेस आर्य के पास उपलब्ध होगा। आर्य भारत का पहला सार्वजनिक एग्री ब्लॉकचेन लेजर तैयार कर रही है। प्रक्षेप की विशेषज्ञता से इस में मदद मिलेगी।
आर्य अभी करीब 10 लाख किसानों और 500 एफपीओ के साथ जुड़ी है। यह उन्हें फसलों के आकलन के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटीग्रेशन, रिमोट सेंसिंग और सैटेलाइट इमेजिंग के जरिए फसलों के सेहत की मॉनिटरिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराती है। दावा है कि प्रक्षेप के मॉडल से फसलों को होने वाले नुकसान में 45 फ़ीसदी, रसायनों के इस्तेमाल में 40 फ़ीसदी, पानी के इस्तेमाल में 35 फ़ीसदी और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में 30 फ़ीसदी कमी आई है।
आर्य.एजी के एमडी और सह संस्थापक प्रसन्ना राव ने कहा, हम पहले ही देशभर में 10,000 से अधिक वेयरहाउस को डिजिटल पहचान दे चुके हैं। हमने स्टोरेज, फाइनेंस और कॉमर्स में पारदर्शिता लाई है। प्रक्षेप का अधिग्रहण हमारे लिए स्वाभाविक है क्योंकि इससे वैल्यू चैन से गुजरने वाले हर दाने को डिजिटल पहचान मिलेगी। सस्टेनेबिलिटी, जलवायु को देखते हुए स्मार्ट खेती और समावेशी आर्थिक विकास के मूल्यों ने हमें साथ जोड़ा है। प्रक्षेप के सीईओ अभिजीत सिंह ने कहा, खेती के पारंपरिक तरीकों में डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अभी शुरुआती चरण में है। आर्य इस क्षेत्र में मार्केट लीडर है। इसके जरिए हमें छोटे किसानों के जीवन को बड़े पैमाने पर प्रभावित करने में मदद मिलेगी। इस साझेदारी के माध्यम से हम अपने यूजर्स को डाटा, वैज्ञानिक अनुसंधान और एनालिटिक्स के जरिए अनेक नई सुविधाएं उपलब्ध करा सकेंगे।