रूरल वॉयस ने 75वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कृषि क्षेत्र के लिए उपयोगी रही नई तकनीक पर आधारित रूरल वॉयस एग्रीटेक शो की शुरुआत की है। हर महीने दो बार आने वाले इस शो में एग्रीकल्चर की नई टेक्नोलॉजी को किसानों और दूसरे दर्शकों तक पहुंचाया जाएगा ताकि देश के किसान नवीनतम तकनीक अपनाकर अपनी कमाई को बेहतर कर सकें। पहले शो में हाइड्रोपोनिक्स टेक्नोलॉजी और उसके फायदों को फीचर किया गया है। यह शो रूरल वॉयस और नेशनल कोआपरेटिव डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनसीडीसी) का साझा प्रयास है। रूरल वॉयस एग्रीटेक शो का प्रीमियर आज दिन में तीन बजे हुआ। जिसका लिंक यहां दिया गया है। जिसे क्विलक कर आप शो को देख सकते हैं। https://youtu.be/OT2jgxMjYLc
शो की लांचिंग करते हुए नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने एक वीडियो संदेश में कहा कि कृषि के लिए टेक्नोलॉजी की अहमियत बढ़ती जा रही है। साथ ही उन्होंने बताया है कि किस तरह से कृषि क्षेत्र में टेक्नोलॉजी के लिए अब दूसरे क्षेत्रों के साथ भी तालमेल की जरूरत बन गई है। वहीं एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी में जुड़ रही मार्डन साइंस और टेक्नोलॉजी के आयाम पर भी उन्होंने जोर दिया है। उनका कहना है कि हमें देश में जो तकनीक उपलब्ध है उसका तो बेहतर उपयोग करना ही है लेकिन साथ ही दुनिया में जहां भी नवीनतम और बेहतर तकनीक उपलब्ध है उसे भारत में लाने में संकोच नहीं करना चाहिए। साथ ही हमारे कृषि वैज्ञानिकों को और अधिक आधुनिक तकनीक पर काम करने की जरूरत है।
इस मौके पर एनसीडीसी के मैनेजिंग डायरेक्टर संदीप कुमार नायक ने अपने संदेश में कहा कि कृषि में तकनीक को बढ़ावा देने का रूरल वॉयस एग्रीटेक शो का प्रयास देश के किसानों और सहकारिता क्षेत्र के लिए फायदेमंद होगा और उनकी आर्थिक स्थिति में बेहतरी लाने में सहायक होगा। इस शो के माध्यम से किसानों और कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों को नई-नई तकनीक और उससे होने वाले फायदों की जानकारी मिल सकेगी।
रूरल वॉयस एग्रीटेक शो एनसीडीसी के यूट्यूब चैनल coptube और एनसीडीसी के दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उपलब्ध होगा। साथ ही यह रूरल वॉयस के यूटयूब चैनल ruralvoicein और रूरल वॉयस के सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उपलब्ध होगा।
इस शो में जहां एक खास तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। वहीं एक एक्सपर्ट या वैज्ञानिक भी इस तकनीक की बारिकियों पर जानकारी देते हैं। वहीं एक ऐसा किसान भी शो में शामिल होता है जो संबंधित तकनीक का उपयोग कर रहा है और वह तकनीक के फायदे और व्यवहारिक पक्ष पर अपने अनुभव साझा करता है जिसका फायदा दूसरे किसान उठा सकें।