देश के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की गुड़ इकाइयां किसानों को गन्ने का भाव देने में चीनी मिलों को टक्कर दे रही हैं। इसका असर चीनी मिलों की गन्ना आपूर्ति पर पड़ रहा है। चालू पेराई सत्र (2023-24) में राज्य सरकार द्वारा गन्ना मूल्य (राज्य परामर्श मूल्य) की घोषणा काफी देर से की गई। इसका फायदा सूबे के गुड़ व खांडसारी उद्योग को मिला। जबकि चीनी मिलें को पर्याप्त गन्ना नहीं मिल पा रहा है।
कोल्हू संचालक चीनी मिलों के बराबर या उससे अधिक दाम देकर किसानों से गन्ना खरीद रहे हैं। पश्चिमी यूपी में कई कोल्हू संचालक गन्ने का भाव 380-400 रुपये प्रति क्विंटल तक दे रहे हैं जबकि चीनी मिलें गन्ना मूल्य में 20 रुपये की बढ़ोतरी के बाद भी 370 रुपये प्रति क्विंटल की दर से एसएपी का भुगतान करेंगी। इस साल मौसन की मार और रोग आने के कारण गन्ने की पैदावर घटी है। इस कारण चीनी मिलों और कोल्हू संचालकों के बीच गन्ना खरीद को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।
शामली जिले में ऊन के पास अत्याधुनिक गुड़ संयंत्र हंस हैरीटेज जैगरी के संस्थापक केपी सिंह ने रूरल वॉयस को बताया कि वह गन्ने का दाम 350 रुपये प्रति क्विंटल तक दे रहे हैं। जबकि बिजनौर क्षेत्र में कोल्हू पर गन्ने का भाव 380 रुपये के आसपास है। इस साल गन्ने की फसल कमजोर है। 10 फीसदी तक उत्पादकता प्रभावित हुई है। जिन इलाकों में रेड रॉट बीमारी का असर ज्यादा है वहां गन्ने की फसल को ज्यादा नुकसान हुआ है।
इस साल गन्ने की पैदावार में कमी की खबरों से गुड़ की कीमतें 200 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़कर 3700 रुपये के आसपास पहुंच गई है। केपी सिंह की हंस हैरीटेज जैगरीज ऑटोमैटेड होने के चलते उन्हें 15 फीसदी से ज्यादा की रिकवरी मिल रही है जबकि सामान्य क्रेशर भी 13 फीसदी तक की रिकवरी हासिल कर रहे हैं। कोल्हू संचालक किसानों को गन्ने का बेहतर भाव और तुरंत भुगतान देकर लुभा रहे हैं। जबकि चीनी मिलों के लिए गन्ने की पर्याप्त आपूर्ति की समस्या खड़ी हो गई है।
मुजफ्फरनगर के फुगाना स्थित फ्रेयर फूड्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर निश्चय मलिक ने रूरल वॉयस को बताया है कि क्रेशर पर गन्ने का रेट 340 से 360 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है। वहीं जिले के पुरकाजी इलाके में दाम 375 रुपये प्रति क्विंटल तक चल रहे हैं। पश्चिमी यूपी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गन्ने की फसल को काफी नुकसान हुआ जिससे पैदावार घटी है।
मुजफ्फरनगर जिले के बढ़ेडी गांव के गन्ना किसान संदीप चौधरी बताते हैं कि हर साल कोल्हू में गन्ने का भाव चीनी मिलों से काफी कम रहता था। इसलिए किसान बहुत मजबूरी में ही कोल्हू को गन्ना बेचते थे। लेकिन इस साल स्थिति अलग है। कोल्हू पर चीनी मिलों के बराबर या उससे अधिक भाव मिल रहा है।
गुड़ कारोबार से जुड़े मुजफ्फरनगर के हेमराज सिंह बताते हैं कि गुड़ की मांग बढ़ी है। शहरों में भी लोगों के खानपान में गुड़ शामिल होता जा रहा है। मुजफ्फरनगर मंडी में गुंड का भाव औसत भाव 3700 रुपये क्विंटल है, जबकि खुदरा बाजार में गुड़ 50 से 60 रुपये किलो के बीच बिक रहा है। गन्ने का भाव 350 रुपये क्विंटल देने पर भी गुड़ उद्योग फायदे की स्थिति में हैं क्योंकि एक क्विंटल गन्ने से करीब 12-15 किलोग्राम गुड़ बनता है। ऐसे में चीनी मिलों के लिए अपनी पेराई क्षमता के हिसाब से गन्ने की आपूर्ति सुनिश्चित करना मुश्किल हो गया है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ (एनएफसीएसएफ) के अनुसार, पेराई सत्र 2023-24 में देश का कुल चीनी उत्पादन 305 लाख टन होने का अनुमान लगाया है, जो 2022-23 सीजन में 330.90 लाख टन उत्पादन से करीब 26 लाख टन कम है। चालू पेराई सत्र 2023-24 के पहले तीन महीनों (अक्टूबर से दिसंबर) के दौरान चीनी का उत्पादन 7.7 प्रतिशत घटकर 112 लाख टन रह गया है।
चीनी उत्पादन में गिरावट के अनुमानों के बावजूद उत्तर प्रदेश में गन्ने का एसएपी 20 रुपये बढ़ाया गया है। ऐसे में कोल्हू संचालक चीनी मिलों के बराबर या उससे अधिक दाम देकर किसान से गन्ना खरीद रहे हैं। अगर सरकार समय रहते गन्ने का भाव बढ़ा देती तो कोल्हू संचालकों को भी रेट बढ़ाना पड़ता या फिर उन्हें गन्ना मिलना मुश्किल होता। लेकिन फिलहाल तो चीनी मिलों के लिए पेराई क्षमता के हिसाब से गन्ना जुटना मुश्किल हो गया है।