भारत का चीनी उत्पादन 314 लाख टन के पार पहुंच गया है। इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (इस्मा) ने चालू पेराई सत्र 2023-24 में चीनी उत्पादन के आंकड़े जारी करते हुए अंतिम कुल चीनी उत्पादन 320 लाख टन के करीब रहने की उम्मीद जताई है जो पिछले साल के 328.2 लाख टन चीनी उत्पादन से करीब ढाई फीसदी कम है।
कर्नाटक और तमिलनाडु की चीनी मिलों से 5-6 लाख टन अतिरिक्त उत्पादन के चलते इस साल चीनी उत्पादन 320 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है जबकि देश में चीनी की खपत 285 लाख टन के आसपास है। देश में चीनी उत्पादन की स्थिति को देखते हुए इस्मा ने केंद्र सरकार से 20 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति देने का आग्रह किया है।
इस्मा के महानिदेशक दीपक बल्लानी का कहना है कि चीनी उत्पादन का अनुमान सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयासों का नतीजा है। चीनी मिलों की वित्तीय सेहत और किसानों को समय पर भुगतान उद्योग के सुचारू कामकाज के लिए जरूरी है। इसलिए हम सरकार से चालू सीजन में 20 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति देने का आग्रह करते हैं। इससे न केवल उद्योग को लाभ होगा बल्कि गन्ना किसानों का भी भला हो सकेगा।
चुनावी साल में चीनी की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए केंद्र सरकार ने चीनी के निर्यात पर रोक लगा रखी है। जबकि पिछले साल लगभग 60 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी गई थी।
पिछले शुगर सीजन 2022-23 में देश में 328.2 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ था जबकि 38 लाख टन चीनी का उपयोग एथेनॉल बनाने के लिए हुआ था। इस प्रकार ग्रास चीनी उत्पादन 366 लाख टन रहा था। इस साल 320 लाख टन चीनी उत्पादन और 17 लाख टन चीनी के एथेनॉल के लिए डायवर्जन को मिलाकर कुल चीनी उत्पादन 337 लाख टन तक पहुंच सकता है। यह गत वर्ष के मुकाबले करीब 8 फीसदी कम है।
देश में चीनी की सालाना खपत करीब 285 लाख टन है। जबकि पिछले साल का शुरुआत स्टॉक 56 लाख टन था। इस प्रकार 30 सितंबर, 2024 को शुगर सीजन की समाप्ति पर देश में करीब 91 लाख टन चीनी क्लोजिंग स्टॉक होगा जो तीन माह की सामान्य खपत से कहीं अधिक है। चीनी का यह अतिरिक्त स्टॉक मिलर्स पर वित्तीय बोझ बढ़ा सकता है। इसलिए उद्योग ने सरकार से 20 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति देने का आग्रह किया है।
इस्मा के अनुसार, अप्रैल के अंत तक देश में 516 चीनी मिलों ने अपना पेराई कार्य पूरा कर लिया था, जबकि पिछले साल इस अवधि तक 460 मिलें बंद हुई थीं। इस प्रकार अप्रैल के आखिरी में केवल 16 चीनी मिलों में पेराई चल रही है जबकि पिछले साल इसी तारीख तक 73 मिलें चल रही थीं। गन्ने की कम उपलब्धता के कारण इस साल उत्तर भारत की चीनी मिलों ने जल्द पेराई बंद की कर सीजन समाप्त कर दिया है।