चालू चीनी वर्ष 2023-24 में देश का चीनी उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 1.19 प्रतिशत घटकर 255.38 लाख टन तक पहुंचा है। चीनी उद्योग के संगठन इस्मा ने सोमवार को यह जानकारी दी। चालू पेराई सीजन में फरवरी तक महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु में चीनी उत्पादन कम रहा है जबकि यूपी का चीनी उत्पादन बढ़ा है।
पिछले साल फरवरी के आखिर तक देश में 258.48 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था, जबकि इस साल 29 फरवरी तक चीनी उत्पादन 255.38 लाख टन रहा है। इस साल फरवरी के आखिर तक 466 चीनी मिलें चलीं, जबकि पिछले साल इस अवधि तक 447 चीनी मिलें चल रही थीं। चीनी मिलें देर तक चलने के कारण इस साल पेराई सीजन लंबा हो सकता है।
अगर राज्यवार चीनी उत्पादन की स्थिति देखें तो महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 90.92 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ, जबकि उत्तर प्रदेश 78.16 लाख टन चीनी उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर है। पिछले साल के मुकाबले महाराष्ट्र का चीनी उत्पादन 4.24 लाख टन कम रहा है जबकि यूपी में चीनी उत्पादन करीब 8 लाख टन अधिक हुआ है। कर्नाटक का चीनी उत्पादन गत वर्ष के 51.23 लाख टन से घटकर इस साल फरवरी के आखिर तक 47 लाख टन रहा है। गुजरात और तमिलनाडु में भी चीनी उत्पादन घटा है।
इस्मा के अनुसार, मौजूदा सीजन में महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी मिलों के बंद होने की दर पिछले साल की तुलना में धीमी है, जिससे संकेत मिलता है कि इस साल इन राज्यों में पेराई सीजन लंबा चल सकता है। महाराष्ट्र में फरवरी के आखिर तक 194 चीनी मिलें चल रही थीं जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 160 था। अब तक इन दोनों राज्यों में कुल 49 फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं, जबकि पिछले साल इस अवधि तक 74 फैक्ट्रियां बंद हो गई थीं। देश भर में 65 चीनी मिलों ने पेराई कार्य बंद कर दिया है, जबकि एक साल पहले इस अवधि तक यह आंकड़ा 86 था।
इस्मा ने 31 जनवरी को जारी दूसरे अग्रिम अनुमान में इस साल चीनी उत्पादन 10 फीसदी घटकर 330.5 लाख टन होने का अनुमान लगाया था, जो पिछले वर्ष 366.2 लाख टन था। चीनी उत्पादन में कमी को देखते हुए सरकार ने गन्ने के जूस से एथेनॉल बनाने पर रोक लगा दी थी।
इस साल महाराष्ट्र और कर्नाटक में मानसून के बिगड़े मिजाज के कारण गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचा, जबकि यूपी में गन्ने को बाढ़ से नुकसान हुआ और रोगों का प्रकोप रहा है। कृषि मंत्रालय की ओर से जारी दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, चालू सीजन 2023-24 में देश में गन्ना उत्पादन पिछले साल के मुकाबले करीब 9 फीसदी घटकर 44.64 करोड़ टन रहने का अनुमान है। गन्ने की बुवाई का क्षेत्र भी 58.85 लाख हेक्टेअर से घटकर 56.48 लाख हेक्टेअर रह गया है।