देश में बासमती चावल के बंपर उत्पादन और कीमतों में गिरावट को देखते हुए निर्यातकों ने सरकार ने न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) की पाबंदी समाप्त करने का अनुरोध किया है। निर्यातकों का कहना है कि बासमती चावल की कीमतों में फसल कटाई के बाद से करीब 15 फीसदी की गिरावट आ चुकी है, लेकिन 950 डॉलर प्रति टन के एमईपी के चलते निर्यात करने में दिक्कतें आ रही हैं।
हरियाणा और पंजाब के चावल निर्यातकों ने कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद विकास प्राधिकरण (एपीडा) को पत्र लिखकर बासमती पर न्यूनतम निर्यात मूल्य की पाबंदी समाप्त करने या फिर इसे कम करने की मांग की है। निर्यातकों को कहना है कि भारत में एमईपी अधिक होने के कारण पाकिस्तान के बासमती निर्यातकों को फायदा पहुंच रहा है जबकि भारत का बासमती निर्यात प्रभावित हो रहा है।
हरियाणा राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील जैन ने रूरल वॉयस को बताया कि इस साल देश में बासमती की अच्छी पैदावार हुई थी। लेकिन पहले सरकार ने बासमती पर 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू किया जिसकी वजह से निर्यात कम हुआ। अब भी बासमती पर 950 डॉलर का एमईपी लागू है। जबकि बासमती के दाम फसल आने के बाद से 15-20 फीसदी तक गिर चुके हैं। बासमती चावल की कई किस्मों और पैकिंग का रेट एमईपी से नीचे चल रहा है। ऐसे में बासमती निर्यात नहीं बढ़ पा रहा है। सुशील जैन का कहना है कि सरकार को बासमती चावल पर न्यूनतम निर्यात मूल्य की पाबंदी हटा देनी चाहिए या फिर इसे घटाकर 750 डॉलर करना चाहिए। तभी देश से बासमती का निर्यात हो पाएगा। अन्यथा पाकिस्तान से बासमती का निर्यात बढ़ेगा और भारत के बासमती व्यापार को नुकसान पहुंचेगा।
बाजार सूत्रों के अनुसार, बासमती चावल का निर्यात मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम निर्यात मूल्य 950 डॉलर प्रति टन से नीचे गिरकर 850 डॉलर प्रति टन के आसपास पहुंच गया है। इसका असर घरेलू कीमतों पर भी पड़ रहा है। निर्यात कम होने से बासमती की घरेलू कीमतें भी 75 रुपये प्रति किलोग्राम से गिरकर 65 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास आ गई हैं। आगामी खरीफ सीजन में सामान्य मानसून के पूर्वानुमान को देखते हुए बासमती चावल की अच्छी पैदावार का अनुमान है। इससे कीमतों में और कमी आ सकती है।
वर्ष 2023-24 में भारत ने रिकॉर्ड 52 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया था जिसमें करीब 48 हजार करोड़ रुपये का व्यापार हुआ। देश के कुल कृषि निर्यात में बासमती चावल महत्वपूर्ण कमोडिटी है। लेकिन निर्यात पाबंदियों के चलते बासमती निर्यात को पिछले साल के स्तर पर बनाए रखना मुश्किल दिख रहा है।