खेती में उर्वरकों के बढ़ते इस्तेमाल और खान-पान के बदलने ट्रेंड के बीच अब किसान फिर ऑर्गेनिक फार्मिंग को ओर लौट रहे हैं। ऑर्गेनिक फार्मिंग एक कृषि पद्धति है जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर के बिना केमिकल रसायनों, कीटनाशकों, और जैविक खादों के बिना खेती की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को सुरक्षित रखना, मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना, और जैव विविधता को प्रोत्साहित करना होता है। यूं तो बाजार में बिकने वाले कई उत्पादों पर ऑर्गेनिक लिखा हुआ दिख जाता है। लेकिन, लिख देने से हर उत्पादन ऑर्गेनिक नहीं हो जाता है। इसके लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग सर्टिफिकेशन की एक पूरी प्रक्रिया होती है। जिसके माध्यम से यह प्रमाणित किया जाता है कि फार्मिंग प्रैक्टिस ऑर्गेनिक मानकों का पूरा पालन करती है।
यह सर्टिफिकेशन किसानों को उनके उत्पादों को ऑर्गेनिक मार्केट में बेचने और उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता और रसायन मुक्त उत्पाद प्राप्त करने में मदद करता है। ऐसे में ध्यान रखें कि जब भी बाजार से कोई उत्पाद खरीदें, तो उसका ऑर्गेनिक फार्मिंग सर्टिफिकेशन जरूर चेक करें। ऑर्गेनिक फार्मिंग सर्टिफिकेशन की जरूरत किसान और उपभोक्ता दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। किसानों को इससे बाजार में बेहतर पहुंच मिलती है। साथ ही साथ उत्पाद पर उपभोक्ता का विश्वास भी बढ़ता है। वहीं, उपभोक्ताओं को इससे उत्पाद की शुद्धता, स्वास्थ्य लाभ, और पर्यावरणीय जिम्मेदारी सुनिश्चित होती है। इसलिए, ऑर्गेनिक उत्पादों का सर्टिफिकेशन प्राप्त करना और चेक करना दोनों ही आवश्यक है।
ऑर्गेनिक फार्मिंग सर्टिफिकेशन की जरूरत किसान, उपभोक्ता, प्रोसेसर्स, निर्यातक से लेकर रिटेलर्स तक को होती है। इससे उपभोक्ता यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जो उत्पाद वह खरीद रहे हैं, वह पूरी तरह प्राकृतिक है और बिना किसी रसायनों के तैयार किया गया है। ऑर्गेनिक उत्पाद अधिक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। यही वजह है कि अब उपभोक्ता भी सेहत को ध्यान में रखते हुए बाजार में ऑर्गेनिक उत्पाद खरीद रहे हैं।
प्रोसेसर्स, निर्यातकों और रिटेलर्स की बात करें तो इन्हें उत्पादों के लेबलिंग और निर्यात के लिए सर्टिफिकेशन की आवश्यकता होती है। ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन से उत्पादों को बेचने में आसानी होती है। इतना ही नहीं कई देश केवल सर्टिफाइड ऑर्गेनिक उत्पादों को ही आयात करते हैं, इसलिए भी सर्टिफिकेशन जरूरी है। सर्टिफिकेशन रिटेलर्स को उपभोक्ताओं का विश्वास जीतने में भी मदद करता है, जिससे उनकी बिक्री बढ़ती है।
कैसे करें ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की पहचान
भारत में ऑर्गेनिक फार्मिंग सर्टिफिकेशन विभिन्न मान्यता प्राप्त सर्टिफिकेशन एजेंसियों द्वारा प्रदान किया जाता है। इन एजेंसियों को नियामक कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) द्वारा मान्यता प्राप्त होती है। ये एजेंसियां यह सुनिश्चित करती हैं कि किसान और उत्पादक ऑर्गेनिक मानकों का पालन कर रहे हैं। एपीडा ने जैविक प्रमाणीकरण के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी निर्धारित किए हैं। सभी जैविक प्रमाणित उत्पादों पर 'इंडिया ऑर्गेनिक' लोगो प्रदर्शित किया जाता है, ताकि ग्राहक प्रमाणित उत्पादों को आसानी से पहचान सकें। ऑर्गेनिक फार्मिंग सर्टिफिकेशन के लिए नेशनल प्रोग्राम फॉर ऑर्गेनिक प्रोडक्शन (एनपीओपी) के तहत कुछ मानक तय किए गए हैं, जिनका पालन सर्टिफिकेशन प्राप्त करने के लिए जरूरी होता है। आसान भाषा में कहें तो खेती की पूरी प्रक्रिया प्राकृतिक होनी चाहिए।
कैसे मिलेगा ऑर्गेनिक फार्मिंग सर्टिफिकेशन
भारत में ऑर्गेनिक फार्मिंग सर्टिफिकेशन प्राप्त करने के लिए दो तरह के सिस्टम है। पहला निर्यात के लिए नेशनल प्रोग्राम फॉर ऑर्गेनिक प्रोडक्शन (एनपीओपी)। दूसरा घरेलू और स्थानीय बाजारों के लिए पार्टिसिपेशन गारंटी सिस्टम (पीजीएस)। एनपीओपी सर्टिफिकेशन सिर्फ उनके लिए होता है, जो अपने उत्पादों को भारत से बाहर निर्यात करते हैं। वहीं, पार्टिसिपेशन गारंटी सिस्टम सर्टिफिकेशन उनके लिए है जो भारत में ही अपने ऑर्गेनिक उत्पाद बेचना चाहते हैं।
कोई भी किसान या भूमिधारक उत्पादक समूह अपनी उपज के जैविक प्रमाणीकरण के लिए आवेदन कर सकते हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि भूमि को जैविक के रूप में प्रमाणित नहीं किया जाता है। बल्कि भूमि से उपज प्रमाणित होती है। इसके अलावा, प्रोसेसर्स, निर्यातकों और रिटेलर्स भी ऑर्गेनिक फार्मिंग सर्टिफिकेशन के लिए आवेदन कर सकते हैं। किसी भी कृषि उपज के लिए जैविक प्रमाणपत्र केवल 3 साल के लिए वैध होते हैं। इसे 3 साल की समाप्ति के बाद फिर रिन्यू किया जाता है।
ऑर्गेनिक फार्मिंग सर्टिफिकेशन प्राप्त करने के लिए सबसे पहले पीजीएस इंडिया वेब पोर्टल पर जाएं और वहां लॉगिन करें। अगर नए यूजर है, तो पहले साइन करें और फिर आवेदन फॉर्म भरें। इसमें फार्म (खेत) की जानकारी, उपयोग की जाने वाली कृषि पद्धतियां, और उत्पादन प्रक्रिया की जानकारी शामिल होती हैं। साथ ही आपको 25 हजार रुपये की फीस भी जमा करनी होती है। फॉर्म और फीस भरने के बाद आपके फार्म का निरीक्षण होता है। इस दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है कि आप ऑर्गेनिक मानकों का पालन कर रहे हैं या नहीं। निरीक्षण के दौरान आपको विभिन्न दस्तावेज जैसे फसल के रिकार्ड, उपयोग किए गए बीज, खाद, और कीटनाशकों का रिकार्ड भी पेश करना होता है। अगर आपका फार्म सभी मानकों पर खरा उतरता है, तो आपको ऑर्गेनिक सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है। सर्टिफिकेट जारी होने में 3 महीने से 1 साल तक का समय लग जाता है। अधिक जानकारी के लिए आप पीजीएस इंडिया वेब पोर्टल की आधिकारिक वेबसाइट https://pgsindia-ncof.gov.in पर विजिट कर सकते हैं। साथ ही हेल्पलाइन नंबरों 91 120-2764906 या 91 120-2764212 पर भी संपर्क किया जा सकता है।