देश में गन्ने की कमी के कारण चीनी उत्पादन में काफी गिरावट आई है। सहकारी चीनी मिलों के संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (NFCSF) ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए देश में चीनी उत्पादन के अनुमान को घटा दिया है।
NFCSF के अनुसार, चालू चीनी सीजन 2024-25 में भारत का कुल चीनी उत्पादन 259 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले सत्र के 319 लाख टन के मुकाबले 18.81 फीसदी कम है। इससे पहले, NFCSF ने चालू सत्र में 265 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया था।
15 मार्च तक, भारत का चीनी उत्पादन 16.11 प्रतिशत घटकर 237.15 लाख टन रह गया है, जिससे सरकार की उन नीतियों के सामने चुनौती खड़ी हो गई है जो प्रारंभिक उच्च अनुमानों के आधार पर बनाई गई थीं। इस सीजन में पेराई करने वाली 533 चीनी मिलों में से 329 ने पेराई कार्य पूरा कर लिया है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि तक केवल 176 मिलें बंद हुई थीं। चीनी की रिकवरी दर भी पिछले साल के 9.95 प्रतिशत से घटकर इस सीजन में 9.32 प्रतिशत रह गई है।
अनुमानों में ‘अस्पष्टता’
NFCSF ने चीनी उत्पादन के आंकड़ों में "अस्पष्टता" को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि “2024-25 चीनी सीजन की शुरुआत से ही गन्ने की उपलब्धता और संभावित चीनी उत्पादन के अनुमानों में लगातार बदलाव देखा गया।”
NFCSF ने एक बयान में कहा, “चीनी उत्पादन के आंकड़ों में अस्पष्टता आज भी बनी हुई है। उद्योग के एक वर्ग ने केंद्र सरकार को 333 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान सौंपा था, जिसके आधार पर सरकार ने अपनी नीतियां बनानी शुरू कीं।”
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जनवरी 2025 में प्रारंभिक उत्पादन अनुमान और उद्योग की मांग को देखते हुए 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी थी, लेकिन तब से चीनी उत्पादन का अनुमान लगातार घटता जा रहा है।
राज्यवार उत्पादन रुझान
NFCSF के आंकड़ों के अनुसार, 15 मार्च तक महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन घटकर 78.60 लाख टन रह गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 100.45 लाख टन था। उत्तर प्रदेश में उत्पादन 88.55 लाख टन से घटकर 80.95 लाख टन रह गया, जबकि कर्नाटक में यह 49.50 लाख टन से घटकर 39.10 लाख टन हो गया।
उत्तर प्रदेश में प्रमुख गन्ना किस्म Co-0238 पर रेड रॉट और टॉप शूट बोरर जैसी बीमारियों का भारी प्रकोप देखा गया है। वहीं, महाराष्ट्र और कर्नाटक में खड़ी फसल में बड़े पैमाने पर समय से पहले फूल आने के कारण गन्ने की बढ़वार प्रभावित हुई है, जिससे चीनी की पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
उद्योग की चिंताएं
NFCSF के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि मौजूदा रुझान को देखते हुए देश भर में पेराई सत्र—उत्तर प्रदेश को छोड़कर—मार्च के अंत तक समाप्त हो जाएगा, जबकि उत्तर प्रदेश की मिलें अप्रैल के मध्य तक पेराई बंद कर देंगी।
पाटिल ने कहा कि महाराष्ट्र जैसे प्रमुख राज्य में, जहां 200 चीनी मिलें हैं, इस वर्ष पेराई सत्र केवल 83 दिनों तक चला है। किसी भी मिल के लिए 140 से 150 दिनों तक संचालन आवश्यक होता है, तभी वह टिकाऊ रह सकती है। इस साल महाराष्ट्र का पूरा चीनी उद्योग भारी वित्तीय संकट में फंस गया है।
भावी संभावनाएं
NFCSF के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाईकनवरे ने 2025-26 सत्र के लिए आशावाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अनुकूल मौसम परिस्थितियों और बढ़ी हुई गन्ना बुवाई से उत्पादन में सुधार होने की संभावना है। नाईकनवरे ने कहा कि यदि मौसम की परिस्थितियां अनुकूल बनी रहती हैं, तो 2025-26 में चीनी उत्पादन में सुधार होगा और यह 2026-27 तक वृद्धि बनाए रख सकता है।