नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद ने कहा है कि भारत के कृषि-रसायन उद्योग में चीन से प्रतिस्पर्धा के बावजूद मौजूदा 9 फीसदी से अधिक की दर से बढ़ने की क्षमता है। यह भी देखा गया है कि कई पश्चिमी देश कृषि-रसायनों से जैव कीटनाशकों की ओर स्थानांतरित हो रहे हैं। भारतीय कंपिनयों को भी इस पहलू पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने एग्रो केमिकल फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसीएफआई) से कृषि रसायनों का व्यापार आसान करने को लेकर एक दस्तावेज लाने का आग्रह किया।
नई दिल्ली में एसीएफआई के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नीति आयोग के सदस्य ने कहा, "कृषि रसायन उद्योग ने 9 फीसदी की चमत्कारिक वृद्धि हासिल की है। इस वृद्धि दर का अधिकांश हिस्सा कोविड-19 महामारी के वर्षों के दौरान हासिल हुआ है जब उत्पादन गतिविधियां गंभीर रूप से बाधित थी।"
उन्होंने कहा कि आर्थिक और उत्पादन बाधाओं के बावजूद घरेलू कृषि रसायन उद्योग ने 2017-18 और 2022-23 के बीच प्रभावशाली वृद्धि दिखाई है। इसके अलावा भारत का निर्यात 5 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है और चीन से भी आगे निकल गया है। नीति आयोग के सदस्य ने आगे कहा कि अगर भारत अनुकूल चीन कारक के अभाव में 9 फीसदी की विकास दर हासिल कर सकता है, तो चीन के साथ प्रतिस्पर्धा अब उतनी कठिन नहीं है जितनी पहले थी। उन्होंने कहा, "हम इस विकास दर को आसानी से 9 फीसदी से बढ़ाकर वास्तविकता के दायरे में कुछ भी कर सकते हैं।"
जैव-कीटनाशकों के बारे में उन्होंने कहा कि उद्योग को इस बात पर विचार करने की जरूरत है कि क्यों कई पश्चिमी देश कृषि रसायनों से जैव-कीटनाशकों की ओर स्थानांतरित हो रहे हैं। उन्होंने कहा, "मैंने इसे कई देशों में देखा है। नीदरलैंड शायद ही कोई कृषि-रसायन बेचता है। पश्चिम के सभी देश उसी दिशा में जा रहे हैं। मुझे लगता है कि लंबे समय में भारतीय उद्योग को इस पहलू पर ध्यान देने की आवश्यकता है।"
निर्यात को बढ़ावा देने को लेकर उन्होंने कहा भारतीय कंपनियों को ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) से संबंधित मुद्दों का अनुपालन करते हुए जिम्मेदारी से कारोबार करने की जरूरत है। इस पर अब काफी चर्चा हो रही है। इसके अलावा, कृषि रसायन उद्योग को प्रदूषण को कम करने के लिए नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने और व्यापार करने में आसानी पर एक दस्तावेज लाने की जरूरत है।