घरेलू एथेनॉल इंडस्ट्री को आम बजट से एक बूस्टर डोज मिला है। बजट में प्रावधान किया गया है कि 1 अक्टूबर 2022 से अनब्रांडेड पेट्रोल पर दो रुपए प्रति लीटर की दर से एडिशनल एक्साइज ड्यूटी लगाई जाएगी। एथेनॉल का बड़ा हिस्सा गन्ने के रस से बनाया जाता है। इसलिए जब इस प्रावधान पर अमल होगा तो पेट्रोल में मिलाने के लिए ज्यादा एथेनॉल की मांग होगी। इससे चीनी उद्योग को बाजार के मौसमी उतार-चढ़ाव से बचाने में मदद मिलेगी। इससे किसानों को भी फायदा होगा।
राजस्व विभाग की अधिसूचना के अनुसार ब्लैंडेड फ्यूल (जिसमें एथेनॉल/मेथनॉल मिलाया जाता है) का बीआईएस मानकों के अनुसार होना जरूरी है। अभी ब्लेंडिंग 10 फ़ीसदी होती है। दो रुपये प्रति लीटर की एडिशनल एक्साइज ड्यूटी से बचने के लिए ऑयल मार्केटिंग कंपनियां यह सुनिश्चित करेंगी कि वह ब्लडिंग के लक्ष्य को हासिल करें।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि इससे सरकार के एथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम को बढ़ावा मिलेगा और एथेनॉल की मांग भी बढ़ेगी। एथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम के लिए केंद्र सरकार ने 2021-22 के संशोधित अनुमानों में 160 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। 2022-23 के लिए बजट में 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसका मकसद एथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए मिलों को वित्तीय मदद उपलब्ध कराना है।
सरकार के इस निर्णय से एथेनॉल डिस्टलरी की स्थापना को बढ़ावा मिलेगा जिससे सरप्लस चीनी में कमी आएगी और ब्लेंडिंग के लिए एथेनॉल की आपूर्ति बढ़ाई जा सकेगी। आखिरकार इस निर्णय से भारत का आयात बिल कम होगा और वायु प्रदूषण भी घटेगा।
इस बीच ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 31 जनवरी को एक्सप्रेशन आफ इंटरेस्ट रुचि पत्र का चौथा चक्र जारी किया है। इसके मुताबिक 2021-22 के एथेनॉल सप्लाई वर्ष में यह कंपनियां लगभग 95 करोड लीटर एथेनॉल खरीदेंगी। यह आकलन 11 फ़ीसदी ब्लेंडिंग के आधार पर किया गया है। इससे भी इथेनॉल की मांग बढ़ेगी और सरप्लस चीनी को डाइवर्ट किया जा सकेगा। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने निविदा जमा करने की आखिरी तारीख 4 फरवरी रखी है।
चीनी मिलें इस बात से भी खुश हैं कि बजट में 2021-22 के संशोधित अनुमानों में चीनी उद्योग के लिए आवंटन 2,507 करोड़ रुपए बढ़ा दिया गया है। बजट आवंटन 4,337 करोड़ रुपए का था, संशोधित अनुमानों में इसे बढ़ाकर 6,844 करोड़ किया गया है।
इसका मुख्य मकसद 2019-20 के लिए चीनी मिलों की मदद करने की योजना और 2020-21 के लिए निर्यात समर्थन योजना के तहत मिलों के बकाए का भुगतान करना है। इस्मा का कहना है कि यह सरकार की तरफ से उठाया गया एक सकारात्मक कदम है। इस भुगतान से किसानों को पैसे दिए जाएंगे जिससे उनका बकाया कम होगा और सीधे-सीधे किसान समुदाय लाभान्वित होगा।
31 जनवरी तक पूरे देश में 507 मिलें चल रही थीं। उन्होंने 187 लाख टन से अधिक चीनी का उत्पादन किया है। पिछले साल 491 मिलों ने 177 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। महाराष्ट्र में 72.9 लाख टन और उत्तर प्रदेश में 50.3 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है।