हैदराबाद। भारत में दूध उत्पादन पिछले 50 वर्षों में लगभग 10 गुना बढ़ चुका है। इसी के साथ डेयरी उद्योग भी बढ़ तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन डेयरी इंडस्ट्री को उपभोक्ताओं के साथ-साथ पशुपालक किसानों का भी ध्यान रखना होगा, तभी यह सेक्टर आगे तरक्की कर सकता है। सोमवार को हैदराबाद में 50वीं डेयरी इंडस्ट्री कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन के अवसर पर इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आरएस सोढ़ी ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि पशुपालक किसानों के बूते ही भारत दुनिया में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला देश बना है। इस कामयाबी को कायम रखने के लिए किसानों को फायदा कैसे मिले, यह सोचना बहुत जरूरी है। डेयरी इंडस्ट्री को उपभोक्ता के साथ-साथ किसानों का भी ध्यान रखना होगा।
हैदराबाद के हाईटेक्स एग्जिबिशन सेंटर में आयोजित 50वीं डेयरी इंडस्ट्री कॉन्फ्रेंस में 30 देशों के डेयरी इंडस्ट्री से जुड़े लगभग 2500 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अपने उद्घाटन भाषण में तेलंगाना के उप मुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था में डेयरी और पशुपालन के महत्व और इसमें महिलाओं की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में तेलंगाना सरकार डेयरी अर्थव्यवस्था के विकास और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए कई योजनाएं चला रही है। अपने संबोधन में उन्होंने श्वेत क्रांति में योगदान के लिए पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के साथ-साथ मिल्कमैन ऑफ इंडिया डॉ. वी. कुरियन को भी याद किया।
तेलंगाना के कृषि मंत्री थुम्मला नागेश्वर राव ने डेयरी एक्सपो का उद्घाटन करने के बाद विभिन्न स्टालों का दौरा किया। कृषि मंत्री ने कृषि अर्थव्यवस्था और किसानों की आय बढ़ाने में डेयरी अर्थव्यवस्था के महत्व पर जोर दिया। डेयरी एक्सपो 11000 वर्ग मीटर में फैले सबसे बड़े एक्सपो में से एक है, जिसमें 30 से अधिक देश प्रदर्शनी में भाग ले रहे हैं।
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. आरएस सोढ़ी ने अपने अध्यक्षीय भाषण के दौरान न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था में डेयरी के योगदान, बल्कि पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी इस क्षेत्र के योगदान के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि पिछले दो दशकों से भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, जबकि विश्व दूध उत्पादन की वृद्धि दर 2 फीसदी की तुलना में भारत में दूध उत्पादन 4.5 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। 50 साल पहले भारत में दूध उत्पादन 24 मिलियन टन था जो आज 231 मिलियन टन है। उन्होंने कहा कि दूध प्रोसेसिंग की क्षमता एक लाख लीटर बढ़ने पर लगभग छह हजार लोगों को रोजगार मिलता है। आने वाले समय में डेयरी सेक्टर में रोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे।
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के अध्यक्ष मीनेश शाह ने छोटे डेयरी किसानों को मजबूत करने तथा उपभोक्ताओं से होने वाली कमाई का बड़ा अंश दूध उत्पादकों को देने की जरूरत बताई। उन्होंने दूध सप्लाई चेन में दक्षता सुधार के लिए शुरू किए जा रहे विभिन्न पहलों के बारे में भी बताया। राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल के निदेशक और कुलपति डॉ. धीर सिंह ने संस्थान की 100 वर्षों की यात्रा के माध्यम से एनडीआरआई के योगदान और संस्थान में विकसित की जा रही उपयुक्त प्रौद्योगिकियों के बारे में बताया।
भारतीय डेयरी में उल्लेखनीय योगदान के लिए देश भर के चुनिंदा डेयरी व्यवसायियों को पुरस्कृत किया गया।
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड: हैटसन एग्रो प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष आर.जी. चंद्रमोगन को डेयरी उद्योग में उनके योगदान के लिए पहले लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पैट्रन अवार्ड: अजय खोसला और डॉ.सी.एस.प्रसाद को एसोसिएशन के पैट्रन अवार्ड से सम्मानित किया गया।
आईडीए के फेलो: डॉ. केएस रामचंद्र, आर.सी.चुघ, आदित्य जैन, राकेश सक्सेना को एसोसिएशन के फेलो चुना गया।