कृषि रसायन क्षेत्र (उर्वरक को छोड़कर) ने हाल के वर्षों में मांग में महत्पूर्ण वृद्धि दर्ज की है। सामान्य मानसून, उर्वरक सब्सिडी बजट में वृद्धि, निर्यात में सुधार और मैन्युफैक्चरिंग के नए अवसरों की वजह से यह वृद्धि हुई है। भारतीय कंपनियों ने पूंजीगत व्यय बढ़ाकर इन अनुकूल संभावनाओं को अपनाया है और मौजूदा समय में तुलनात्मक निवेश प्रगति पर है। इस क्षेत्र की दीर्घकालिक संभावनाएं आशाजनक बनी हुई हैं, मगर वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के बाद की अवधि में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। ये चुनौतियां मुख्य रूप से चैनल इन्वेंट्री में बढ़ोतरी और इनपुट कीमतों में गिरावट से उत्पन्न हुई हैं जिस कारण इन्वेंट्री नुकसान हुआ है। इसकी वजह से वित्त वर्ष 2022-23 में बिक्री की वृद्धि दर और परिचालन लाभ में गिरावट आई है।
इसे देखते हुए केयरएज रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2023-24 में बिक्री की वृद्धि दर 10-12 फीसदी तक रहने का अनुमान लगाया है। इससे निकट अवधि में परिचालन लाभ पर दबाव पड़ने की उम्मीद है। केयरएज का कहना है कि मुनाफे में संभावित कमी के बावजूद पिछले कुछ वर्षों में मजबूत बैलेंस शीट के कारण सामान्य रूप से भारतीय एग्रोकेमिकल कंपनियों की क्रेडिट प्रोफाइल मजबूत रहने की उम्मीद है। देश में कृषि रसायनों की कुल बिक्री में वित्त वर्ष 2021-22 तक (कोविड के कारण वित्त वर्ष 2019-20 को छोड़कर) अच्छी वृद्धि देखी गई थी। मजबूत घरेलू मांग, निर्यात में सुधार, उर्वरक सब्सिडी के लिए पर्याप्त बजट और सामान्य मानसून की वजह से यह वृद्धि दर्ज की गई थी।
हालांकि, वित्त वर्ष 2022-23 में बिक्री की वृद्धि घटकर 13 फीसदी रह गई जो उच्च चैनल इन्वेंट्री के कारण वित्त वर्ष 2021-22 में पहले से ही ज्यादा थी। केयरएज ने उम्मीद जताई है कि है कि वित्त वर्ष 2022-23 के अंत तक उपलब्ध चैनल इन्वेंट्री को देखते हुए वित्त वर्ष 2023-23 में बिक्री की वृद्धि दर 10-12 फीसदी तक रहेगी। इस साल मानसून पर अल-नीनो के संभावित प्रभाव और इनपुट कीमतों में गिरावट का असर बिक्री पर पड़ने की उम्मीद है। कृषि रसायन कंपनियों के लिए परिचालन मुनाफा मार्जिन वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 में 14-15 फीसदी रहा है जिसे अच्छा माना जाता है। हालांकि, इनपुट कीमतों में गिरावट के कारण, खासकर वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) में इन्वेंट्री घाटे के कारण यह घटकर 13 फीसदी रह गया।
यह क्षेत्र में ज्यादा पूंजी लगती है। पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में काफी पूंजीगत व्यय हुआ है। इस वर्ष भी काफी बड़ा पूंजीगत व्यय होने वाला है। यह पूंजीगत व्यय मुख्य रूप से मौजूदा उत्पाद क्षमताओं का विस्तार, वितरण नेटवर्क का विस्तार, अकार्बनिक अधिग्रहण, पिछड़े एकीकरण, नए उत्पाद विकास और बाजार में उनके लॉन्च पर होता है। केयरएज के मुताबिक, यदि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में परिचालन लाभ पर दबाव रहता है तो दूसरी छमाही में पूंजीगत व्यय में कमी आ सकती है।
केयरएज रेटिंग्स के निदेशक हार्दिक शाह ने कहा, “मजबूत घरेलू मांग, चीन की नीति के कारण निर्यात मांग में सुधार, विनिर्माण तकनीकी और प्रमुख मध्यवर्ती में बैकवर्ड इंटीग्रेशन की अच्छी गुंजाइश, प्रतिस्पर्धी लागत संरचना के कारण कृषि रसायन क्षेत्र की दीर्घकालिक विकास की संभावनाएं बरकरार हैं। इसके अलावा कस्टम सिंथेसिस मैन्युफैक्चरिंग और पर्याप्त उर्वरक सब्सिडी बजट से भी काफी संभावनाएं हैं। इस अवसर का लाभ उठाने के लिए भारतीय कंपनियों ने बड़े पैमाने पर पूंजीगत व्यय किया है। उनकी बैलेंस शीट भी पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हो गई है। हालांकि, निकट अवधि में उच्च चैनल इन्वेंट्री, इनपुट कीमतों में गिरावट, चीन से ज्यादा आपूर्ति और अल- नीनो के कारण मौसम की अनिश्चितता से कुछ प्रतिकूल परिस्थितियां हैं। इस वजह से चालू वित्त वर्ष में परिचालन मुनाफा मार्जिन पर दबाव से बिक्री की वृद्धि कम होने की संभावना है।”