भारत और यूके में काम करने वाले कृषि टेक्नालॉजी आधारित स्टार्टअप पियात्रिका बायोसिस्टम्स ने अंकुर कैपिटल के साथ मिलकर सस्ते टिकाऊ उन्नत किस्मों के बीज की खोज और कृषि रसायन के लिए समझौता किया है। इसके तहत अंकुर कैपिटल से पियात्रिका बायोसिस्टम्स को 12 लाख डॉलर की फंडिंग मिली है। यह स्टार्ट-अप टिकाऊ सस्ते बीज किस्म और कृषि रासायन बाजार में ला रही है। कंपनी का मुख्य उदेश्य ये है कि इस निवेश से देश में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के साथ फसलों की नई किस्मों के लिए एक मजबूत टीम बनाना है। साथ ही बीजों पर अधिक गहन शोध करके एमवीपी के उत्पादन और व्यावसायीकरण में तेजी लाना है।
अंकुर कैपिटल का मानना है कि 2050 तक दुनिया की अनुमानित 9 अरब की आबादी के लिए वैश्विक खाद्य उत्पादन में 50 से 70 फीसदी बढ़ोत्तरी करने की जरूरत है। जलवायु परिवर्तन के साथ यह बढ़ती वैश्विक जनसंख्या आने वाले दशकों में कृषि में चुनौतियों का अभूतपूर्व कारण बन सकती है इसलिए इसकी तरफ अभी से ध्यान देने की जरूरत है। वहीं मौजूदा दौर में पूरी दुनिया वैश्विक खाद्य आपूर्ति के लिए अभूतपूर्व मुद्दों का सामना कर रही है। जैसे खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में असंतुलन के चलते कुछ फसलों का अधिक उत्पादन होना और उन फसलों में पोषक तत्वों की कमी पाया जाना है। ऐसे में इन मुद्दों के लिए केवल सामाजिक और आर्थिक स्थिरता के लिए जैविक या अजैविक के साथ फसलों में जरूरी पोषण के अधिक या कम उत्पादन और स्थानीय फसलों में बायोएथेनॉल जैसे बेहतर विकल्पों की खोज करना है। इसके लिए टिकाऊ यानी स्थाई कृषि की जरूरत के साथ-साथ एक तेजी से विकास रणनीति के लिए प्रक्रिया के प्रबंधन में बदलाव लाने की जरूरत है।
इस मौके पर अंकुर कैपिटल की पार्टनर रितु वर्मा ने बताया कि हम कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी के माध्यम से नए बीजों को बेहतर करने के साथ उन्हें बनाने के लिए पियात्रिका बायोसिस्टम्स के साथ साझेदारी करने के लिए उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि देश में जलवायु परिवर्तन समस्या के बीच खाद्य मांग की पूर्ति करना कृषि के सामने बडी चुनौती है। इसलिए बीज के क्षेत्र में नवाचार महत्वपूर्ण है। इसलिए कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी में प्रगति के साथ हम इसे नए बीजों को बाजार में तेजी से लाने के लिए सोच रहे हैं।
वहीं पियात्रिका बायोसिस्टम्स के सह-संस्थापक और सीईओ वासुदेव कुमांडूरी ने बताया अत्याधुनिक अनुसंधान और इसके व्यावहारिक कार्यान्वयन के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध होता है। इसका मतलब ये है कि, जहां हाल के सालों में कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी/जीनोमिक्स, डेटा साइंस, क्लाउड और इंस्ट्रुमेंटेशन में जमीनी स्तर शोध की गई है। इस महत्वपूर्ण शोध को खेतीबाड़ी में समय पर व्यावहारिक तरीके से लागू नहीं किया गया है। ऐसे में जैव सूचना विज्ञान के जरिए किसान और उपभोक्ता के लाभ के लिए तत्काल लागू करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कंपनी का लक्ष्य है कि वैज्ञानिक अनुसंधान और वाणिज्यिक उद्यम समाधानों के बीच की खाई को पाटना है।
वासुदेव कुमांडूरी जानकारी दी है कि पियात्रिका बायोसिस्टम्स कृषि-जीनोमिक्स खोजों और प्लांट ब्रीडिंग निर्णय समर्थन, कार्यक्रम डिजाइनिंग और निगरानी के लिए एक नया नवाचार क्लाउड-आधारित उद्यम प्लेटफॉर्म-ए-ए-सर्विस (पीएएएस) भी बना रहा है। जिसके माध्यम से उन्नत बीजों की खोज के साथ ही साथ बीजों के स्थानिक डेटा कैप्चर को खोजने प्रक्रिया को बढ़ाने में मदद मिलेगी ।
वहीं पियात्रिका बायोसिस्टम्स के दूसरे सह-संस्थापक और सीओओ फनी यारलागड्डा ने बताया कि, मौजूदा दौर में जलवायु परिवर्तन रूस-युक्रेन युद्ध और कोरोना वायरस ने वैश्विक खाद्य प्रणालियों को बाधित कर दिया है। जिसके चलते देश में कम संसाधनों का उपयोग करके अधिक पैदावार के लिए अत्यधिक दबाव है। ऐसे में बीज कंपनियां और कृषि-अनुसंधान संस्थान किफायती एंटरप्राइज ग्रेड प्लग-इन समाधानों की तलाश कर रहे हैं। जिससे किसान लैब से बीज लेकर अनुकूल परिस्थितियों में इन बीजों से अपनी खेती में लाभ ले सकें।
पियात्रिका बायोसिस्टम्स एनआईएबी कैम्ब्रिज, यूके और आईसीआरआईएसएटी हैदराबाद की शाखा है। यह देश से बाहर रहकर रिसर्चर, बीज कंपनियों और अनुसंधान संस्थानों के साथ काम कर रही है। इस साल जून 2022 में एफएओ ने पियात्रिका बायोसिस्टम्स को खाद्य और कृषि में शोध करने के लिए चुना है वहीं अंकुर कैपिटल डिजिटल और डीप साइंस टेक्नोलॉजी कंपनियों में निवेश करने वाला शुरुआती चरण का वेंचर कैपिटल फंड है। इसकी स्थापना 2014 में हुई थी। फिलहाल अंकुर कैपिटल के पोर्टफोलियो में 25 कंपनियां हैं।