जलवायु परिवर्तन के चलते असामान्य रूप से बढ़ता तापमान फसलों के लिए घातक साबित हो रहा है। लेकिन पौधों को अधिक तापमान के बावजूद बचाये रखने के लिए एग्री टेक स्टार्ट-अप कंपनी बॉयोप्राइम एग्रीसॉल्यूशंस ने एक बॉयो फार्मूलेशन विकसित किया है। इस नोवल बॉयो-फार्मूलेशन की अबॉयोटिक स्ट्रैस मैनेज करने की क्षमता के लिए बॉयोप्राइम एग्रीसॉल्यूशंस को भारत सरकार के पेटेंट आफिस ने पेटेंट प्रदान किया है। यह बॉयो फार्मूलेशन पौधे के आंतरिक संचार सिस्टम में मौजूद अति सूक्ष्म कार्बन पार्टिकल्स नैनो डॉट्स और मॉलिक्यूल्स का उपयोग करते हुए फसल में जलवायु के अनुसार जीवित रहने का लचीलापन लाने की क्षमता विकसित करता है।
पेटेंट मिलने के बारे में जानकारी देन के लिए बॉयोप्राइम द्वारा जारी बयान के मुताबिक यह शोध आने वाले समय में कार्बन क्वांटम डॉट्स (सीक्यूडी) क्लोरोफिल पिगमेंट द्वारा प्रकाश ग्रहण करने क्षमता बढ़ाकर फोटोसिंथेसिस की प्रभावशीलता को भी स्थापित करेगा। यह प्रक्रिया पौधों को प्रकास के जरिए ऊर्जा प्राप्त करने की भूमिका निभाती है। जब पौधा स्ट्रैस में होता है तो यह मॉलिक्यूल उसको नुकसान से बचाव की क्षमता में वृद्दि करता है। यह पौधे के सैल्स को मृत सैल्स में बदलने की प्रक्रिया रोकता है। जिसके चलते पौधा जहां स्टैस से लड़ता है वहीं वह उसके स्वास्थ्य को वापस लाने में मदद करता है। सिगनलिंग मॉलीक्यूल्स का यह फार्मूलेशन सीओडी पौधों को अबॉयोटिक स्ट्रैस से बचने में मदद करता है उसे जलवायु में होने वाले बदलाव के प्रति लचीला बनाता है। यह शोध एक टेक्नोलॉजी का उदाहरण है जो देश और दुनिया में कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
इस बारे में बॉयोप्राइम एग्रीसॉल्यूशंस की सीईओ डॉ. रेणुका दीवान ने कहा है कि यह तकनीक फोटोसिंथेसिस को नियंत्रित करने का वह तरीका प्रदान करती है जो पहले संभव नहीं था। प्रभावित पौधों के सैल्स को बचाने के लिए जो मौका इस तकनीक ने दिया है वह जलवायु परिवर्तन से चलते होने वाले फसल नुकसान को कम करने में सक्षम है। हमारी सोच है कि हम दुनियाभर के किसानों को तापमान में उतार चढ़ाव, सूखे, बीमारी और कीट से होने वाले फसल नुकसान से लड़ने में मदद करने वाली तकनीक विकसित करें। जिसके जरिये छोटे-बड़े हर खेत में फसलों की उत्पादकता बढ़े, बेहतर पोषकता वाले खाद्य उत्पाद पैदा हों और उसके साथ ही हम पर्यावरण को भी संरक्षित रख सकें।
रेणुका दीवान ने रूरल वॉयस को बताया कि हाल के समय में भारत में तापमान में भारी बढ़ोतरी का स्तर देखा गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबि 19 मई, 2016 को राजस्थान के फलौदी में 50.6 डिग्री सेल्सियस का अधिकतम तापमान दर्ज किया गया था। इसी तरह के रिकॉर्ड 2018 और 2022 में भी देश में दर्ज किये गये। तापमान का यह स्तर देश में कोई इक्का दुक्का घटना नहीं है बल्कि देश और दुनिया में इस तरह का ट्रेंड आने वाले दिनों में भी देखने को मिलेगा। इस तरह की हीट स्ट्रैस कंडीशन में फसलों की उत्पादकता में 10 से 30 फीसदी तक का नुकसान होता है। यह तरह का नुकसान जहां खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करता है वहीं यह सीमित सिंचाई सुविधाओं वाले किसानों पर प्रतिकूल असर डालता है। भारत में अभी भी आधे से अधिक कृषि योग्य भूमि सिंचिंत नहीं है। ऐसे में इस तरह जलवायु परिस्थिति देश के अधिकांश किसानों के लिए मुश्किल पैदा करती हैं और इनमें अधिकांश छोटे किसान होते हैं।
ऐसे में नया शोध कृषि क्षेत्र के लिए एक बड़ी राहत लेकर आ सकता है। बॉयोप्राइम एग्रीसॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड तीन वैज्ञानिकों द्वारा स्थापित की गई है। जिसका मुख्य शोध जलवायु परिवर्तन, कीट और बीमारियों से फसलों के संरक्षण और उत्पादकता बढ़ाने पर केंद्रित है।